सोनम मागोनम मागो
धरती के नीचे, पाताल में एक रहस्मय दुनिया थी। एक जादुई परियों की दुनिया। वह परियां जंगल में एक रहस्मय झरने के उपर रहतीं थीं। वह कोई मामूली झरना नहीं था। झरने का पानी खूब चमकता था। इसका कारण झरने के नीचे पड़े क्रिस्टल थे। झरने के किनारे अनेक जंगली फूल पाए जाते थे। फूल तरह तरह के रंगों के थे जैसे आकर्षक नीले, बेहतरीन जामुनी, सूरज के जैसे पीले ओर सांझ वाले अंबर के जैसे गुलाबी।
हर सुबह वह परियां झरने के उपर बने पुल पर इकठ्ठा होतीं। एक-एक कर के वह पानी में कूदतीं ओर वहां पड़े क्रिस्टलों के जादू को अपने अंदर अवशोषित कर लेतीं। उस झरने का पानी किसी और जीव ने कभी नहीं पीया था। वहां और केवल मत्स्यि-परियां ही रहतीं थीं। वह दिखतीं तो मछलियों के जैसी पर उनके छोटे छोटे पंख थे ओर वह पानी से निकल कर उड़ती रहतीं।
एक सुबह परियां अपने घर से निकल कर पुल पर पहुंचीं। वह सुन्दर सुन्दर कपड़े पहन कर लहराती व खिल-खिलाती हुई जंगल से गुजर रहीं थीं के अचानक से परियों की रानी, इमिलिया ने एक आवाज़ सुनी। " रुक जाओ" वह बोली। "मुझे लगता है कि कोई हमारा पीछा कर रहा है! सब जल्दी से पेड़ों के पीछे छुप जाओ"। परियां चुप चाप से पत्तों के पीछे छिप गईं। रानी खास ध्यान रख रही थी के उसकी चमकती हुई बकाइन पोशाक ओर उसके सूरजमुखी के फूल जैसे रंग वाले बाल उसे खतरे में न डाल दें। " सोफ़िया, अपनी तेज़ दृष्टि से पेड़ों के आगे देखो। मुझे वहां खतरा लग रहा है"। रानी इमिलिया सोफ़िया से बोली। सोफ़िया अपनी खास शक्ति का प्रयोग करते हुए आगे के रास्ते पर नज़र लगाई हुई थी। "मुझे दिख गए।" वह चिल्लाई। वह तीन हैं ओर उनमें से एक पूर्व की रानी मुवैसा लग रही है।
"वह क्रिस्टल पाना चाहती है" रानी इमिलिया गुस्से से बोली। जिस रहस्मय झरने पर कोई नहीं आ सकता है मुवैसा उस सुन्दर व शान्तिपूर्वक जगह पर क्रिस्टल के जादू से कहर मचाना चाहती है।
"हमे उन्हे झरने तक पहुंचने से रोकना होगा। मेरे पीछे आओ।" सभी परियां पेड़ों से उड़ पड़ीं। ऐसा लग रहा था कि आकाश में कोई सुन्दर नृत्य चल रहा है। उनके पंख सूरज की रोशनी में चमकते हुए उनके झरने की ओर बड़ने का संकेत दे रहे थे। "सीधे पानी में कूद जाओ", इमिलिया परियों से बोली। "मुवैसा ओर उसके सैनिकों के पहुंचने से पहले हमे अपनी शक्ति को बड़ाना है।" परियां पुल तक पहुंच गईं और उसी क्षण पहाड़ से कूद गईं। वह हवा में थीं तो ऐसा लग रहा था कि जैसे तितलियों की लहर पानी की लहरों पर उतर रही थी। जैसे जैसे परियां छपाक से पानी में कूद रहीं थीं वहां केवल चमकते हुए फ़िरोज़ी, बकाइन,आड़ू, सफ़ेद व गुलाबी रंग ही दिखाई दे रहे थे। उन सभी ने झरने के नीचे से एक एक क्रिस्टल अपने हाथ में उठा लिया। उसी क्षण क्रिस्टल की शक्ति उनमें समा गई और परियों का जादू दस गुना बेहतर हो गया। अचानक मत्स्य-परियां वहां तैरते हुए आईं और एकदम घबराते हुए बोलीं " रानी इमिलिया" "रानी मुवैसा आ रहीं हैं।"
रानी इमिलिया बोली "पता है, हमने उन को जंगल में देखा था। जाओ और जंगल के सारे जानवरों को इकठ्ठा कर लो" " सोफ़िया और ज़ारा तुम मत्स्य-परियों के साथ जाओ और उनकी मदद करो।" रानी इमिलिया ने दोनों को हाथ से इशारा करते हुए बोला।"ध्यान रहे कि सभी जानवर एकजुट होकर, गोला बनाकर खड़े रहें ताकि उनकी पूरी शक्ति पुल की ओर बनी रहे।"
"बाकी सभी परियां ज़यादा से ज़्यादा क्रिस्टल इकठ्ठा करें और उन को एक दूसरे से दो फ़ीट की दूरी पर रख दें। जब जंगल के सारे जानवर पहुंच जाएँ तो वह आसानी से क्रिस्टल उठा सकते हैं।" परियां क्रिस्टल व अपने कार्य के बोझ तले वहां से उड़ गईं।
रानी इमिलिया उड़ कर पुल तक पहुंच गई ओर वह रानी मुवैसा के आने का इन्तजार करने लगी।
"अपनी हार मान लो इस से पहले तुम्हारी छोटी छोटी परियां मेरे से टकराँए" रानी मुवैसा जंगल की दूसरी ओर से बोली।" किसी को कोई नुकसान नहीं होगा"। उसके सैनिक हमले के लिए तैयार थे। वह सैनिकों के पीछे सीना तान कर खड़ी थी। उस समय रानी इमिलिया शांत थी, वह सही मौके का इन्तजार कर रही थी। उसने सोफ़िया और ज़ारा को वापिस आते देखा और मुसकुराई। "आज हमे कोई नुकसान नहीं होगा" वह ज़ोर से बोली। "क्रिस्टलों को अब सक्रिय करो"। हर तरफ रौशनी की सफ़ेद किरणें आकाश में दूर तक जाती दिखीं। मुवैसा चौंक कर अपनेे आस पास खड़े जानवरों को क्रिस्टल की जादुई् शक्ति का प्रयोग करते दख रही थी।
"यह हमारा जंगल है। यहाँ के हर एक जानवर, मछली व परी इस रहस्मय झरने के लिए खड़े होगें।" वह निडर होकर रानी मुवैसा की ओर बड़ने लगी। मुवैसा और उसके सैनिक फस चुके थे। क्रिस्टल के जादू ने जैसे उनके शरीर को पत्थर बना दिया था। "हम छोटे हैं मगर कमजोर नहीं है" रानी इमिलिया मुवैसा से बोली। "वापस चली जाओ।" फिर सभी जानवरों ने अपने क्रिस्टल पानी में फेंक दिए और एक बादल सा बन गया। उस बादल ने मुवैसा और उसके सैनिक को अपनी चपेट में लेकर झरने से दूर कर दिया।
"वाह, बहुत अच्छा।" परियां, जानवर व मत्स्य-परियां खुशी से झूम रहे थे। परियों ने बाकी का दिन झरने पर खूब आनंद लेकर व्यतीत किया। पाताल की उस दुनिया की दूसरी ओर, रानी मुवैसा ने बदले की भावना से झरने की ओर हाथ किया और कहने लगी, कि एक दिन वह क्रिस्टल उसके होंगे।
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